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Relationships
Me aur mere tauji ki beti ki beti ek dusre se bahut pyar karte h bachpan se hi... Ham shadi karna chahte hai ekdusre se.. kya ham dono legally shadi kar sakte hai ??? Please help us agar shadi nahi kar paye to ham dono ne marne ka faisla kiya hai.



Vikas334 puttar,
Dekho sab se pehle to marne ki baat mat karo aur na he iss baare main socho. Kyonki marne se kissi bhi cheez ka hal na kabhi nikla hai aur na he aage kabhi niklega. Bas problems badhti hee jayengi. Sab se pehle to main bata dun ki aisa karna families ke liye difficult ho sakta hai. Tum dono ki lya umar hai? Age kya hai?
सबसे पहले तो ये बता दूँ बेटा, और शायद तू जानती होगी कि कुछ धर्मों और सभ्यताओं में इसकी इजाज़त हैI वहां चचेरे या ममेरे भाई बहनों का आपस में शादी करना बिलकुल सामान्य माना जाता हैI
वहीँ दूसरी तरफ, बाकि सभ्यताओं में ऐसा सोचना भी गलत माना जाता है क्यूंकि वहां कज़न्स को भी आपस में सगे भाई बहनों कि तरह माना जाता है- "और अपने भाई या बहन से शादी कैसे कर सकते हैं"? वाली विचारधारा होती हैI
एक मिनट के लिए समाज, धर्म और रीती रिवाजों का पर रख कर तेरे कज़न के बारे में बात करते हैंI देख बेटा, कई बार ऐसा होता है कि किसी ऐसे लड़के के साथ हम बहुत करीब आ सकते हैं जिसके साथ हम पले बढे होंI हमने बहुत सा वक़्त सरह गुज़ारा होता है और पता नहीं चलता कि रिश्तेदार और एक 'लड़का-लड़की' के बीच कि लकीर धुंधलाने लगती हैI पता भी नहीं चलता और वो इंसान हमारे लिए अचानक सबसे ज़रूरी बन जाता हैI
भारत में इस बारे में कानून थोड़ा पेचीदा सा है- यह धर्म पर आधारित हैI मुस्लिमों में ऐसा करने की इजाज़त हैI हिन्दुओं में हिन्दू विवाह कानून के अंतर्गत इसकी अनुमति नहीं है लेकिन कुछ स्थानीय रिवाजों के आधार पर कुछ मामलों में छूट देदी जाती हैI
रही बात बच्चों की, ये सच है की कुटुंब में की गयी शादी के फलस्वरूप होने वाले बच्चों में जन्म विकार अक्सर पाये जाते हैंI अगर तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाये तो इसकी सम्भावना उतनी है जितनी 40 की उम्र के बाद के गर्भ में होती है, कुछ शोधकर्ताओं का कहना हैI अब ये जोखिम लेनें या ना लेने का फैसला तेरा है बेटा!
अगर तेरे परिवार में ऐसा पहले हो चूका है, तो चीज़ें थोड़ी आसान हो सकती थी, लेकिन तेरे घर में ये पहला मामला है, और तेरे धर्म या समुदाय में इसकी मंजूरी भी नहीं है, इसलिए इस फैसले का सफर काफी मुश्किल हो सकता हैI

ये भी अच्छी तरह सोच ले बेटा कि ये सचमुच प्यार है या फिर साथ पलने बढ़ने वाले लड़के के प्रति आकर्षण? तुम दोनों का साथ शायद बचपन का है और तेरे लिए यही ladki असल में ladki कि पहली परिभाषा कि तरह हैI और इसी उधेड़बुन में तूने अपने मन में आगे तक का सोच लिया हैI हो सकता है ना बेटा? ज़रा गौर से सोच इस बारे मेंI
ये कुछ सवाल हैं जो तुझे फैसला लेने से पहले पूछने हैं...
क्या ये सच है? क्या ये शादी न्यायसंगत है? क्या तुम दोनों बच्चों में विकार कि सम्भावना का जोखिम ले सकते हो? क्या तेरे पास अपने परिवार और समाज का समर्थन और प्रोत्साहन हो पायेगा, या ये फैसला तेरे ज़िन्दगी में कभी ना ख़त्म होने वाले संघर्ष की तरह आएगा?
अगर तू इन सवालों के जवाब के बाद भी इस दिशा में आगे बढ़ना चाहते है तो भी मेरी दुआएं तेरे साथ रहेंगी बेटाI और अगर तू ऐसा नहीं करने का फैसला करता है तो भगवान तुझे अपने इस प्यार को भूल कर जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति दे!
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